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रामायण में हनुमान जी के एक पुत्र मकरध्वज की कथा का वर्णन है। मकरध्वज एक मछली के गर्भ से पैदा हुआ था जो न केवल एक मछली थी बल्कि वह एक मां भी थी। इस मछली ने अपने बेटे मकरध्वज की रक्षा के लिए अपने सिर से पत्थर निकाला और उसे अपने पुत्र को सौंप दिया। किवदंती है कि मकरध्वज का जन्म राहु काल में हुआ था। मछलियों के सिर के पत्थर का उपयोग कलियुग में राहु के बुरे प्रभावों और लोगों को रोगों से बचाने के लिए किया जाता है।
माछ मणि कोई साधारण रत्न नहीं है बल्कि यह बहुत ही दुर्लभ मणि है। इसे पहनने वाले व्यक्ति को जीवन के हर प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन खुशहाल बनता है। मच्छमणि एक दुर्लभ मणि है। राहू ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए इस मणि से बेहतर और कोई मणि नहीं हैं। यह एक प्राचीन मणि होने के साथ-साथ बहुत ही दुर्लभ मणि हैं। यह धारणकर्ता को सभी प्रकार के तनावों से मुक्त कर एक सुखी जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देता हैं। इसे धारण करने के बाद राहू ग्रह की पीड़ा शांत होती हैं। इस मणि के बारें में लोगों को अधिक जानकारी न होने के कारण यह अधिक प्रचलन में नहीं आ सका। कलयुग में व्यक्ति का जीवन भगादौडी वाला हो गया हैं, अच्छा जीवनयापन सभी चाहते हैं परन्तु हालात सभी के लिए एक जैसे नहीं रहते, जीवन में कई बार धन-संपत्ति, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि में दिक्कते आती हैं, ऐसे में अपनी इच्छाओं की पूर्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए हम आपके लिए लेकर आये हैं मच्छमणि। अगर जीवन से हताश या निराश हैं तो, इस मणि को जरुर धारण करें |
कहते हैं मच्छमणि श्रीलंका के समुद्र में बहुत गहरे पानी में रहने वाली मछली के पेट में बनती हैं। पूर्णिमा की रात्रि को यह मछली समुद्र के तट पर तैरती हैं, उस समय मछुआरे मछली को अपनी टोकरी में पकड़ते हैं और अपने अनुभव से उनकों यह ज्ञात होता हैं कि कौनसी मछली के पेट में मच्छमणि है, मछली के पेट को दबाते ही मछली मणि को बाहर निकाल देती हैं और फिर मछुआरे उस मछली को पानी में वापिस छोड़ देते हैं। इस प्रकार से बड़े ही कड़े परिश्रम के बाद इस मच्छमणि की प्राप्ति होती हैं।
राहू ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए या राहू की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हैं, तोमच्छ मणि को धारण करना लाभदायक होता हैं।
जादू टोना, काला जादू, भूत प्रेत से भी यह दुर्लभ मणि रक्षा करता है।
कई तरह के रोगों जैसे कि किडनी और पेट से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में मच्छ मणि की मदद ली जा सकती है।
राहू से पीड़ित होने या कुंडली में राहू अशुभ स्थान में बैठा हो तो व्यक्ति को जिंदगी में धोखा ही मिलता है। ऐसे में मच्छ मणि आपकी मदद कर सकता है और आपको सही रास्ता दिखाता है।
व्यापार में नुकसान और आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए यह मणि धारण कर सकता है।
कर्ज में दबे हैं तो आपके लिए भी मच्छ मणि मददगार होगा।
बाल्मीकि रामायण का एक वृतांत है जब भगवान हनुमान ने लंका को जला दिया था और बाहर आ गए थे और समुद्र के ऊपर उड़ रहे थे, उस समय उनके शरीर का तापमान बहुत गर्म था। इस वजह से उनके शरीर से बहुत पसीना शुरू लगा। इस पसीने के पसीने की बूंद समुद्र में तैर रही एक मछली के मुंह गिर गई।
पसीने की इस बूंद से मछली गर्भवती हो गई और उसने भगवान हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज को जन्म दिया। इस मछली को अहिरावण ने पाताल लोक ले गया था और इसे काटने लगा। तब मकारध्वज नामक एक बंदर उस मछली के गर्भ से पैदा हुआ था। उसके हाथ में एक रत्न था। अहिरावण ने मकरध्वज से पूछा कि उसने एक मछली के गर्भ से कैसे जन्म लिया है और उनके हाथ में यह पत्थर क्या है।
तब मकरध्वज ने उसे बताया कि यह पत्थर मेरी मां के सिर से निकला है। अहिरावण को मछली को मारने का दुख हुआ और उन्होंने मकरध्वज को अपना मंत्री बना लिया। बाद में अहिरावण ने अपने भाई रावण के अनुरोध पर पाताल लोक में निडर के दौरान ही भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण का अपहरण कर लिया।
जब हनुमान जी भगवान राम को मुक्त करने के लिए वहां पहुंचे तो उन्हें मकरध्वज से युद्ध करना पड़ा। मधुध्वज युद्ध हार गया और फिर उसने भगवान हनुमान जी को अपना परिचय दिया। हनुमान जी ने मकरध्वज को गले लगाया और फिर उसे रस्सी से बांध दिया।
आपको Jyotishhelp से आचार्य द्वारा राहू के मंत्रों से अभिमंत्रित कर के मच्छ मणि दिया जाएगा ताकि आपको इस रत्न के दोगुने और शीघ्र लाभ मिल सकें।
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